गायत्री जयंती पर शांति कुंज में मनाई गई आचार्यश्री राम शर्मा जी की पुण्यतिथि

 शांतिकुंज ने गायत्री जयंती व गंगादशहरा उत्साहपूर्वक मनाया

गायत्री विचार को तो गंगा तन को करती हैं पवित्र: डाॅ पण्ड्या

जिम्मेदारी उठाने का पर्व है गायत्री जयंती: शैलदीदी

औषधीय एवं फलदार पौधों का पूजन कर वृक्षारोपण को गति देने का लिया संकल्प


हरिद्वार 20 जून (अमर शदाणी संवाददाता गोविंद कृपा हरिद्वार)



गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा का पर्व समूह साधना, विश्व कल्याण की प्रार्थना एवं वृक्षारोपण को गति देने के संकल्प के साथ मनाया गया। इस दौरान अखण्ड जप में सोशल डिस्टेसिंग के पालन के साथ साधकों ने भाग लिया। लॉकडाउन के कारण शांतिकुंज परिवार ने पर्व पूजन का कार्यक्रम भावनात्मक रूप से सम्पन्न किया। इस दौरान गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने वीडियो संदेश दिये। इसे शांतिकुंज व देवसंस्कृति विवि परिवार ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लाइव प्रसारण में भागीदारी की, तो वहीं देश-विदेश के गायत्री परिवार के कार्यकत्र्ताओं ने सोशल मीडिया के माध्यम से आनलाइन लाइव जुड़े।

अपने संबोधन में गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डाॅ प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गायत्री साधक के विचारों को पवित्र करती हैं, तो पतित पावनी गंगा अपने शरण आये लोगों को शुद्ध करती हैं। गायत्री व गंगा के तीन-तीन चरण हैं, जिसके अनुपालन से प्रगति दर प्रगति होते हैं। उन्होंने पतित पावनी गंगा एवं उसकी सहायक करीब 150 नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा चल रहे गायत्री परिवार के कार्यों को गति देने के लिए प्रेरित किया। गायत्री परिवार प्रमुख ने कहा कि युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्यश्री ने वैचारिक क्रांति को गति देने के उद्देश्य प्रचुर मात्रा में साहित्य का सृजन किया है। इसके अध्ययन, चिंतन और मनन से हजारों-लाखों व्यक्तियों ने अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन किया है। युवाओं के प्रेरणास्त्रोत श्रद्धेय डाॅ पण्ड्या ने देशभर के युवाओं को वायु एवं वैचारिक प्रदूषण को दूर करने के लिए आवाहन किया। श्रद्धेय डाॅ पण्ड्या ने गुजरात, महाराष्ट्र, पं बंगाल, छत्तीसगढ, मप्र आदि राज्यों में चलाये जा रहे पौधारोपण के लिए नर्सरी विकसित करने के विभिन्न सुझाव दिये। इस अवसर पर उन्होंने कई औषधीय, फलदार एवं छायादार पौधों का पूजन कर इसे विस्तारित करने के लिए संकल्पित कराया। उन्होंने बताया कि आज दिनभर में देश के विभिन्न स्थानों में गायत्री परिवार द्वारा आज 1 लाख 64 हजार पौधे रोपे गये। 

संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि यह महापर्व जिम्मेदारी उठाने का है। गायत्री अर्थात् सद्ज्ञान एवं सत्कर्म को जन-जन तक पहुंचाने का पर्व है। आज पूरी दुनिया को ज्ञान की आवश्यकता है। सद्ज्ञान और सत्कर्म से लोगों के जीवन प्रकाशमय बन पायेगा। शैलदीदी ने कहा कि जिस तरह पतित पावनी गंगा ने पीडितों की उद्धार के लिए, उसके ताप हरने के लिए स्वर्ग से धरती पर आयी। इससे पूर्व प्रमुखद्वय श्रद्धेय डाॅ पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी ने सम्पूर्ण गायत्री परिवार के प्रतिनिधि के रूप में पर्व पूजन किया। हजारों परिजनों को गायत्री महामंत्र से दीक्षित किया।

उल्लेखनीय है कि गायत्री परिवार के संस्थापक एवं गायत्री के सिद्ध साधक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने सन् 1990 को गायत्री जयंती के दिन ही महाप्रयाण किया था। उनकी 31वीं पुण्यतिथि के अवसर पर उनके बताये अभियानों को गति देने के संकल्प के साथ भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पूज्य आचार्यश्री की पावन समाधि पर साधकों ने पुष्पांजलि अर्पित की। वहीं सायंकाल बहिनों ने दीपकों की रैली के साथ दुनिया में वैचारिक क्रांति के दीप जलाने की अपील की तथा दीपमहायज्ञ में कोविड-19 के शमन हेतु वैदिक मंत्रों से आहुति प्रदान की गयी। आॅनलाइन सम्पन्न हुए इन कार्यक्रमों देश-विदेश के गायत्री साधकों ने जूम, यूट्यूब एवं फेसबुक के माध्यम से जुडे रहे।

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