काव्य धारा

सारा आकाश

बहती चाँदनी 


अनछुआ सूरज 

सूरजमुखी की प्यास


झरनों सरिताओं 

में सिमटे बादल


पीपल की पतियों से 

सरकती हवा


सागर सीपियाँ रेत

किनारे मझधार


तुम्हारा मेरा 

गुज़र गया सा प्यार


सब है प्रकृति का 

अनुपम इज़हार


सोमा नायर


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