निदा फाजली

 


 


निदा फाजली थे गंगा-जमुनी तहजीब की आवाज
पुण्यतिथि पर नमन


भारत में करीब हजार वर्ष के हिंदू -मुस्लिम संपर्क की वजह से ऐतिहासिक विकास क्रम में एक गंगा-जमुनी तहजीब विकसित हुई है। निदा फाजली इसी संस्कृति के सबसे नायाब उदाहरणों में से एक हैं। निदा फाजली रहीम, कबीर जैसे लोगों की विरासत को आगे बढ़ाने वाली कड़ी थे।
धर्म के आधार पर अलग राष्ट्र पाकिस्तान का निर्माण हमारे इतिहास की सबसे बड़ी भूल थी। निदा उस दर्दनाक दौर से भी गुजरे। वे मुस्लिम थे उनका पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया लेकिन निदा भारत में ही रह गए। उन्हें अपनी जन्मभूमि छोड़ कर जाना गंवारा नहीं हुआ। निदा को सूरदास के पदों से साहित्य से अनुराग उत्पन्न हुआ तो जाहिर है उनके लेखन में  सूरदास का माधुर्य देखा जा सकता है।


होशवालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है


निदा इश्क के अहसास को बहुत ही लाजवाब शब्दों में बयां करते हैं होशवालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है इश्क किजे फिर समझिये जिंदगी क्या चीज है। यह गजल जगजीत सिंह की मखमली आवाज मेंऔर भी निखर जाती है। इसे सरफरोश फिल्म में लिया गया है।
आई ज़ंजीर की झन्कार खुदा खैर करे..
निदा ने हिंदी फिल्मों में अपने करियर की शुरुआत रजिया सुल्तान जैसी ऐतिहासिक फिल्म से की थी। उनकी गजल आई ज़ंजीर की झन्कार खुदा खैर करे गब्बन मिर्जा की आवाज में काफी लोकप्रिय हुई थी।


कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता


यह निदा फाजली की सबसे अधिक ख्यात गजल में से है। इस गजल में जीवन की फिलोसोफी है। अधिकतर लोग अपने जीवन से असंतुष्ट ही रहते हैं। इसी तरह से दुनिया जिसे कहते हैं, मिट्टी का खिलौना है में भी जीवन दर्शन है।  
तू इस तरह से मेरी जिंदगी में शामिल है..
शायद 80 के दशक में एक फिल्म आई थी आप तो ऐसे ना थे। फिल्म कोई खास नहीं थी पर ये फिल्म राजब्बर और दीपक पराशर की पहली फिल्म थी और इसका ये गीत जबरदस्त लोकप्रिय हुआ था। इस गीत को मोहम्मद रफी ने भी गाया था पर मनहर उदास का गाया गाना लाजवाब है।


आदमी के एकाकीपन के चितेरे


आधुनिक भागदौड़ भरी जिंदगी में आदमी अजीब से माहौल में रह रहा है। वो हर समय भीड़ से घिरा है लेकिन फिर भी कहीं से अकेला है। उसके इस एकाकीपन को निदा ने बड़ी शिद्दत से अपनी शायरी में बयां किया है।
हर तरफ़ हर जगह बेशुमार आदमी ....
अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये..


जगजीत सिंह के साथ जोड़ी


निदा फाजली के दोहों पर जगजीत सिंह की एक लाजवाब अलबम है इनसाइट। इसके सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं।
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलों यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए
यह एक बहुत ही सुंदर गीत है। इसमें बहुत ही सरल शब्दों में महत्वपूर्ण बात कही गई है।।


नवीन शर्मा
#निदाफाजली


No comments:

Post a Comment