गजल
- गजल

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- सोच के दिल है बैठा मेरा।
तू मुझसे आखिर क्यों रूठा।।
यार तुझे कैसे समझाएं।
तेरी खातिर खुद से उलझा।।
छोड़ो उन पर मिट्टी डालो।
टूटे ख्वाबों में क्या रक्खा।।
चल इस पर तो राजी हो जा।
मैं हूं झूठा तू है सच्चा।।
चांद हो पहलू में जब बैठा।
रात भी उजली दिन भी उजला।।
मैं भी तेरा दिल भी तेरा।
तेरा-मेरा कैसा झगड़ा।।
जाने वाला कब आता है।
तू तकता है रस्ता किसका।।
आ चल मिलकर दोनों रो लें।
मेरा-तेरा एक सा दुखड़ा।।
झील सी आंखों का क्या कहना।
पहरों डूबा पहरों उभरा।।
दर्द उसे भी होता होगा।
चैन मेरा है जिसने लूटा।।
दर्द गढ़वाली, देहरादून
09455485094
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