निर्धनों किसानों व मजदूरों की समस्याओं को उजागर करने तथा सामाजिक अंधविश्वासों एवं कुरीतियों के विरुद्ध सामाजिक जागृति का उद्देश्य लिए पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी सदैव लेखन करते रहे साहित्य के माध्यम से गणेश शंकर विद्यार्थी ने देश में राष्ट्रवादी अलग जगाई वहीं राष्ट्र सेवा को समर्पित एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा का विरोध करते हुए देश में समरसता की बात कही और सदैव समर्थन करते रहे 26 अक्टूबर 1890 को प्रयागराज में जन्मे गणेश शंकर विद्यार्थी जी का आरंभिक जीवन शिक्षा व धर्म ज्ञान के बीच शुरू हुआ विद्यार्थी जी की प्रारंभिक शिक्षा विदिशा एवं साची के सांस्कृतिक वातावरण में हुई आगे की शिक्षा के लिए वे कानपुर और प्रयागराज में रहे प्रयागराज प्रवास उनके जीवन का एक ऐसा मोड़ साबित हुआ जिसने उनकी जिंदगी का रूख ही मोड़ कर रख दिया । कर्म योगी के संपादक पंडित सुंदरलाल पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके प्रारंभिक गुरु बने स्वराज्य में विद्यार्थी जी की टिप्पणियां प्रकाशित होती थी जो इन दिनों क्रांतिकारी विचारों का दर्पण था ,उन्हीं दिनों सरस्वती के संपादक यशस्वी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को एक युवा और उत्साही सहयोगी की आवश्यकता थी जो उनके संपादन कार्य में उनका सहयोग करें । अतः 2 नवंबर 1911 को उन्हें सहायक संपादक नियुक्त किया गया । यह विशुद्ध साहित्यिक पत्रिका थी जबकि विद्यार्थी जी की स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते हुए उसमें लेखनी के माध्यम से योगदान करना चाहते थे। अतः नंबर 1912 में वह पंडित मदन मोहन मालवीय के पत्र अभुदय से जुड़ गए यहां भी इनका मन नहीं लगा तब उन्होंने कानपुर से हिंदी साप्ताहिक पत्र प्रताप का प्रकाशन नवंबर 13 में प्रारंभ किया ।गांधी जी पर उनका अटूट विश्वास और श्रद्धा थी जो उन्हें सदैव उनका अनुयाई बनाए रखती थी लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन के समय शांति दूतों की भीड़ ने उनका कत्ल कर दिया। जिस हिंदू मुस्लिम की उन्होंने सारे उम्र वकालत की उन्हीं की एक भीड़ ने उनकी हत्या कर दी।गणेश शंकर विद्यार्थी जी की हत्या को लेकर बहुत सारे तथ्य छुपाए गए इनकी हत्या किसने की इस पर जितना लिखा गया ।उससे अधिक से छुपाया गया ज्यादा जगहों पर उल्लेख मिलता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी दंगाइयों के शिकार बन गए । प्रत्यक्षदर्शियों से जानकारी मिलती से है की गणेश शंकर विद्यार्थी जब समाज में समरसता स्थापित करने में लगे थे तो उन पर उन्मादियो की भीड़ ने हमला कर दिया और उनको मार डाला। इस बात का उल्लेख कही नहीं मिलता है कि हत्या करने वाला कौन था ।गांधी की हत्या के विपरीत यह नहीं पाया जाता है कि गणेश शंकर विद्यार्थी हत्या करने वाला किस मजहब से जुड़ा था ।उनके हत्यारों की पहचान छुपा ली जाती है कुछ जगह पर पढ़ने को यह भी मिला अंग्रेज अधिकारियों ने गणेश शंकर विद्यार्थी की हत्या की साजिश रची थी और दंगों की आड़ में उस को अंजाम तक पहुंचा दिया। युगपुरुष गणेश शंकर विद्यार्थी पुस्तक में कानपुर में गणपत सिंह का बयान मिला है जिसमें 25 मार्च की दोपहर 3:00 से 4:00 बजे कानपुर के चौबे गोला के पास की घटना का वर्णन है इस समय बक्र मंडी के मुसलमानों का दल नई सड़क पहुंच गया और इस प्रकार गणेश जी फिर दो ग्रहों के बीच में फस गए मैं उस समय 15 गज की दूरी पर खड़ा था ।इतने में एक मुसलमान चिल्लाकर बोला यही गणेश शंकर विद्यार्थी है इसे खत्म कर दो ।बस शांतिदूतो के गिरोह में से सबसे पहले दो पठानो ने गणेश शंकर विद्यार्थी के एक साथी पर हमला किया वह 10 मिनट में मर गया । कुछ मुसलमान गणेश शंकर विद्यार्थी पर दौड़ पड़े और एक ने उन पर छूरे का वार किया और दूसरे ने कांटे का प्रहार किया गणेश शंकर विद्यार्थी जी जी भूमि पर गिर पड़े और कुछ लोगों को तीन-चार दिन बाद विद्यार्थी जी की लाश मिली। आज गणेश शंकर विद्यार्थी जी की जन्म जयंती पर उनके देश प्रेम पत्रकारिता के प्रति उनके समर्पण भाव निष्पक्षता को शत शत नमन वे सच में लेखनी के सिपाही थे । अपना सारा जीवन पत्रकारिता के नाम कर दिया और समाज में समरसता लाते के लिए अपना बलिदान दे दिया।
Subscribe To
Featured Post
बजरंग दल ने लगाया कांवरियों के लिए चिकित्सा शिविर
बजरंगदल के चिकित्सा सेवा शिविर का शुभारंभ कांवड़ यात्रा हिन्दू समाज की शक्ति का प्रकटीकरण – अनुज वालिया हरिद्वार 20 जुलाई ...
-
बहुत अच्छी जानकारी है कृपया ध्यान से पढ़ें . 👉ये है देश के दो बड़े महान देशभक्तों की कहानी.... 👉जनता को नहीं पता है कि भगत सिंह के खिल...
-
#casualLeaveApplication
-
*लो जी जारी हो गई उत्तराखंड सरकार की guideline ,मुख्य सचिव ने बताया क्या खुलेगा क्या बंद रहेगा* देहरादून- मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने की...
-
सरस्वती शिशु मंदिर गंगा निलियम में हुआ पुरस्कार वितरण समारोह हरिद्वार 10 मार्च ( आकांक्षा वर्मा संवादाता गोविंद कृपा हरिद्वार ) मायापुर ...
-
घीसा संत की वाणी जीता कूं तो गम नहीं, ना कुछ मोल न तोल । शरणै आये दास कूं, सुनो घीसा राम के बोल ॥८२॥ जीता घीसा राम का, ज्यूं मेहन्दी का पात...
-
. सरस्वती शिशु मंदिर मायापुर में हरेला सप्ताह के अंतर्गत आयोजित की गई चित्रकला प्रतियोगिता हरिद्वार 19 जुलाई (आकांक्षा वर्मा संवाददाता गो...
-
रुड़की 21 जनवरी( संजय सैनी संवादाता गोविंद कृपा रुड़की )भारतीय राष्ट्रवादी सैनी समाज संगठन हरिद्वार उत्तराखंड के जिला पदाधिकारियों की एक जूम...
-
*‼️ प्रभु के नाम का निरंतर सुमिरन प्रारब्ध के भोग को सरल बना देता है। ‼️* एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था। धीरे धीर...
-
Hey everyone , If you are a B. Ed. Aspirant then yes you can find previous year B. Ed. Question papers and study material from this blog an...
No comments:
Post a Comment